लेखनी प्रतियोगिता -27-Jun-2022
अजनबी ये...
अजनबी ये मंजिल हो गई,
जब से खो गया तू राहों मे है।
अजनबी खुशबुएं हो गई,
जब से फूल से फसलें हो गए है।
अजनबी ये हवाएं हो गई,
जब से मुझे छूना भूले तुम है।
अजनबी ये बादल हो गए,
जब से तेरा साया रूठा मुझसे है।
अजनबी ये यादें हुई,
जब से श्यामें तन्हा हुई है ।
अजनबी ये बारिशें हो गई,
जब से भीगना छोड़ा है हमने।
अजनबी ये सासें हो गई,
जब से तेरा ज़िक्र ना हुआ।
Punam verma
28-Jun-2022 08:35 AM
Nice
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Abhinav ji
28-Jun-2022 07:46 AM
Very nice👍
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Swati chourasia
28-Jun-2022 01:08 AM
बहुत खूब 👌👌
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